जैन धर्म के बारे में विविध विचार
जैन’ कहते हैं उन्हें, जो ‘जिन’ के अनुयायी हों। ‘जिन’ शब्द बना है ‘जि’ धातु से। ‘जि’ माने-जीतना। ‘जिन’ माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं ‘जिन’। जैन धर्म अर्थात ‘जिन’ भगवान् का धर्म। कुल मिलाकर भारत और अन्यदेशो में जैन लोगों के लगभग 110 समुदाय हैं। उन्हें ऐतिहासिक और वर्तमान आवास के आधार पर छः भागो में विभाजित किया जा सकता है।

अनादि मूल णमोकार महामंत्र
जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूलमंत्र है-णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं॥
णमोकार महामंत्र का अर्थ
अर्थात अरिहंतों को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार। ये पाँच परमेष्ठी हैं।

जैन कौन?
जो स्वयं को अनर्थ हिंसा से बचाता है। जो सदा सत्य का समर्थन करता है। जो न्याय के मूल्य को समझता है। जो संस्कृति और संस्कारों को जीता है। जो भाग्य को पुरुषार्थ में बदल देता है। जो अनाग्रही और अल्प परिग्रही होता है। जो पर्यावरण सुरक्षा में जागरुक रहता है। जो त्याग-प्रत्याख्यान में विश्वास रखता है। जो खुद को ही सुख-दःख का कर्ता मानता है।संक्षिप्त सूत्र- व्यक्ति जाति या धर्म से नहीं अपितु, आचरण एवं व्यवहार से जैन कहलाता है।
आचार्य कुंदकुंद
धन दे के तन राखिए, तन दे रखिए लाज धन दे, तन दे, लाज दे, एक धर्म के काज। धर्म करत संसार सुख, धर्म करत निर्वाण धर्म ग्रंथ साधे बिना, नर तिर्यंच समान।जिन शासन में कहा है कि वस्त्रधारी पुरुष सिद्धि को प्राप्त नहीं होता। भले ही वह तीर्थंकर ही क्यों न हो, नग्नवेश ही मोक्ष मार्ग है, शेष सब उन्मार्ग है- मिथ्या मार्ग है।

भगवान महावीर भारतीय जैनों में श्रमण परम्परा के अंतिम प्रत्यक्ष प्रतिनिधि थे। वो जैन धर्म उस धर्म के अनुयायी हैं जो धार्मिक निष्ठा के उन चौबीस प्रवर्तकों द्वारा पढ़ाया गया जिन्हें तीर्थंकर कहा जाता है। जैन लोगों की साक्षरता दर राष्ट्रीय दर 65.38% की तुलना में उच्चतम 94.1% है। उनकी महिला साक्षरता दर भी राष्ट्रीय औसत 54.16% की तुलना में अधिकतम 90.6% है। यह माना जाता है कि भारत में प्रति व्यक्ति आय भी जैन लोगों की उच्चतम है। कुल मिलाकर भारत और अन्यदेशो में जैन लोगों के लगभग 110 समुदाय हैं। उन्हें ऐतिहासिक और वर्तमान आवास के आधार पर छः भागो में विभाजित किया जा सकत है। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में जैन धर्म के लोगों की संख्या 4,225,053 है जबकि भारत की कुल जनसंख्या 1,028,610,328 है। अधिकत्तम जनसंख्या वाक्य राज्य एवं क्षेत्र निम्नानुसार हैं:
जनसँख्या
महाराष्ट्र 1,301,843
राजस्थान 650,493
मध्य प्रदेश 545,446
गुजरात 525,305
कर्नाटक 412,659
उत्तर प्रदेश 207,111
दिल्ली 155,122
तमिलनाडु 83,359
यह सम्भव है कि जैन लोगों की कुल संख्या जनगणना के आँकड़ों से मामूली मात्र में अधिक हो सकती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में जैन लोगों की कुल अनुमानित संख्या 1,90,000 से 2,00,000 के मध्य है।
