About शीतलधाम

मंदिर का निर्माण कार्य

विदिशा के जैन श्रेष्ठि वैसे तो सैकड़ों वर्षो से शीतलनाथ भगवान के त्रय कल्याणकों से पावन इस भूमि पर तीर्थ क्षेत्र विकसित करने का स्वप्न संजोये थे, परंतु इसे मूर्तिरूप देने का कार्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्यों मुनि श्री क्षमासागर जी, मुनि श्री समतासागर जी व मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज के प्रथम विदिशा आगमन एवं चातुर्मास के दौरान सन 1992 में हुआ । गुरुवर के आशीर्वाद से श्री दिगम्बर जैन शीतल बिहार न्यास ट्रस्ट का गठन होकर उदयगिरि पर 56 बीघा जमीन को क्रय किया गया । समय अपनी गति से चलता रहा सन 2002 में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज गमन करते हुये जब विदिशा पधारे तो उनके मंगल आशीर्वाद से वर्तमान शीतलधाम की 18 बीघा भूमि (हरिपुरा) श्री दिगम्बर जैन शीतल बिहार न्यास द्वारा क्रय की गई । जिस पर विदिशा से गमन करते हुऐ आचार्य श्री के पावन चरण पड़े और भूमि ऊर्जावान हो गयी, यह भूमि विदिशा नगर से लगी हुई है ।आचार्य श्री के आशीर्वाद से इस भूमि का विकाश शुरू हुआ । प्रारम्भ में यहाँ सड़क निर्माण, कुआं निर्माण एवं विशाल ज्ञान साधना केन्द्र का निर्माण किया गया |

निर्माण कार्य तकनीक

  • निर्माण कार्य तकनीक विशेषज्ञ इंजिनीयर्स की टीम की देख रेख में ।
  • 170×170 फ़ीट की गोलाकार नीव जो कि 25 फिट गहरी खोदी गई इसमें लगभग 250 पायल्स किए गये जिन्हे तकनीकी इंजीनियरों के अनुसार भरा गया । इसके ऊपर 6×4 फिट की 15 इंच से 18 इंच मोटे पत्थर के दासे की दो सतह छूने एवं रेत के साथ बिछाई गयी एवं इसके उपर अलग्गों की विधिवत चुनाई की गई और इसकी ऊंचाई जमीन स्टार से 16 फ़ीट ऊपर हो गई । जिसे हम समवशरण मंदिर की सतह स्टार/कुर्सी कह सकते है इस पूरी नीव के कार्यो को पूर्णतः तकनीकी विशेषज्ञों की सलहा एवं उनकी देख रेख में पूरा किया गया है । पूरे कार्य को इतनी मजबूती दी गई है कि रिएक्टर स्केल पर आठ मेंग्नीट्यूड के भूकम्प भी सहन कर सके यह अद्वितीय समवशरण मंदिर की नीव विश्व में दूसरी है जो इतनी बड़े आकर की है । इसमें लगभग 3325 ट्रक अलंग्गे, रेत, जीरो गिट्टी, गिट्टी, सीमेंट एवं पत्थर लग चुका है जो अपने आप में उदाहरण है |

शीतलधाम विकास समवशरण मंदिर निर्माण

  • एक भव्य ज्ञान साधना केन्द्र स्थापित जिसमे आठ कमरे, दालान एवं दो बड़े हाल है । मुनिचर्या की सम्पूर्ण व्यवस्था सहित ।
  • भव्य ज्ञान साधना केन्द्र से लगा हुआ बर्रो वाले बड़े बाबा आदिनाथ का जिनालय ।
  • मीठे पानी की विशाल पक्की बावड़ी, कुआँ का निर्माण ।
  • समवशरण मंदिर हेतु लगभग 2.50 लाख स्कायर फ़ीट का मैदान जहां निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है ।
  • विश्व प्रसिद्द मंदिर आर्किटेक्ट एवं वास्तुविद व्ही.के. त्रिवेदी अहमदाबाद जिन्हे अक्षरधाम मंदिर दिल्ली का निर्माण हेतु सम्मानित किया गया के द्वारा डिजाईन ।
  • राजस्थान के बंशीपहाड़पुर के सौंण्ड स्टोन से निर्मित होने वाला विशाल डोम युक्त देश का एक मात्र 93 फ़ीट ऊँचा समवशरण मंदिर ।
  • समवशरण मंदिर के चारों दिशाओं में विशाल मान स्तंभों की रचना ।
  • रियक्टर स्केल पर 8 मैग्नीट्यूड के भूकम्प निरोधी तकनीक का उपयोग ।
  • सम्पूर्ण परिषर में लेंडस्केपिंग बागवानी द्वारा सौंदर्यीकरण ।